tag:blogger.com,1999:blog-706178741383771310.post6931350902480426460..comments2017-10-19T01:27:08.520-07:00Comments on Unknowncorners- Explore beyond your mind: प्यार v/s प्यारRitu Gautamhttp://www.blogger.com/profile/04238906962404045518noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-706178741383771310.post-9862089872152898552014-07-02T10:59:46.651-07:002014-07-02T10:59:46.651-07:00पता नही क्यों, ऐसा लगता है मानो वहशीपन और सच्चे प्...पता नही क्यों, ऐसा लगता है मानो वहशीपन और सच्चे प्यार के अर्थों के बीच में कही समाज है .....गाँव की पगडंडियों को पार करके शहर की चकाचौंध देखने पर लगता है जैसे लोग फ़िल्मी या फूहरपन के दायरे से बाहर प्रेम की अनुभूति कर ही नही पाते......यह दुर्भाग्य है कि प्रेम को शारीरिक संबंधों की दहलीज में समेटकर, उसकी ऐसी छवि बना दी गई है मानो वह किसी के लिए अजनबी, अछूत तो किसी के लिए कुछ परिभाषाओं में सिमटी जज्बात, प्रेम-प्रदर्शन बन गई हो........सार्थक चिंतन के शब्द फुंटे इस लेख से...keep it upAbhishek Ranjanhttps://www.blogger.com/profile/12938434301304285083noreply@blogger.com