नन्ही कली



कली! दीदी ये नाम हमने बहुत सोच के रखा है अपनी बेटी का| है न खूबसूरत? इसका मतलब होता है फूल की बेटी और जो फूल निकलने से पहले उसका रूप होता है वो होती है कली| बड़ी ही मासूमियत के साथ कली के सारे मायने समझा दिए, छोटे से गाँव में रहने वाली झवरी ने| बताती है मेरे पास २ बेटियां है वैसे तो सब प्यार दिखाते हैं पर दिल वाला प्यार नहीं, और तो और जब से हमें दो बेटियां हुई है मेरे लिए भी लगाव ख़तम सा हो गया है, न पति प्यार करता है और न ही सास| कहते हैं दो लालियाँ पैदा कर दी है| ये सब हमारे हाथ की बात तो नहीं ना दीदी| ये तो सब ऊपर वाले की कृपा है| न ठंग से खाने देते हैं और न ही पहनने को कपडे देते हैं, ऐसा लगता है मनो दीदी घर में सब चाहते हैं कि मेरी कली कैसे भी भगवान को प्यारी हो जाये| कभी-कभी तो हमें भी घर से बाहर निकालने की बात करते हैं| वैसे तो हम घर से निकले हुए ही हैं, हमारा आदमी दूसरी औरत लेके आ रहा है| इतना कह कर झवरी की आखों की किनखियों से पानी के दो मोती ज़मीन पे आ गिरे|

आपको पता है मैं क्यों अपनी बेटियों को घर नहीं छोडती? मैंने बोला नहीं, तुम ही बताओ| बोलती है घर के लोग पीछे से पानी अटका के मार देंगे मेरी नन्ही सी जान को| देखो न कितनी मासूमियत से हसती है| आँखों में मातृत्व का भाव लेकर कर अपनी बेटी को तीन मिनट कर निहारती रही और उसकी हरकतों को देख कर खुश होती रही|






तुम करती क्या हो झवरी और अगर तुम्हे घर से निकल दिया तो कैसे रहोगी, कभी सोचा है?
आँखों को थोडा छोटा करके दो मिनट सोचने के बाद बोली दीदी सोचा तो कभी नहीं पर इतना पता है अपनी बेटियों को यहाँ नहीं छोड़ेंगे, उनको पढ़ाएंगे-लिखाएंगे, अच्छा जीवन देंगे और शादी वो जब करना चाहेंगी तब कराएँगे| वैसे हम खेत का सारा काम कर लेते हैं तो कहीं मजदूरी करेंगे| सुना है शहर में बड़े लोग के घर काम वाली की ज़रूरत होती है हम वहां जाकर काम कर लेंगे|

तुम दूसरी शादी करने का नहीं सोचोगी? आँखें चड़ा कर बोली आदमी जात का क्या भरोसा दीदी, दूसरे ने भी छोड़ दिया तो एक और बेटी होने पर|





एक बात बोलें दीदी !! मैंने बोला! कहो तब से तुम ही तो हमें यहाँ बिठा कर रुला रही हो| थोडा हंसी और अपना एक हाथ मेरे पैर पर रख कर बोली आप एक औरत के दर्द को महसूस करती हो इसलिए रो रही हो, नहीं तो कौन किसे बैठ कर इतनी देर सुनता है, और आप को कितने दिन हुए हमेशा मिलने आती हो मेरी कली से| इसको आपकी आदत हो जाएगी|| मैंने बोला अब मुझे शर्मिंदा न करो बताओ क्या बोलने वाली थी| फिर थोडा हंसी और बोली ये दुनियां ऐसी है दीदी अगर लोगों के हाथ में लड़का-लड़की पैदा करना होता तो सिर्फ लड़के ही पैदा करते| कभी-कभी लगता है समाज में हम औरतों को इतनी कम इज्ज़त क्यों है| पर खैर कभी तो ये सब बदलेगा| इतना कह कर उठ खड़ी हुई और बोली बहुत बातें हुई दीदी अब काम पर लगते हैं| दूर खेत के बीच जाकर दुपट्टा बिछाया उसपर कली को बिठाया, फिर तल्लीनता के साथ काम में लग गयी| कभी- कभी बीच में नन्ही कली रोती तो उसे कुछ दिखा कर बहला देती और फिर काम में लग जाती|

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